स्व. नंदकिशोर नौटियाल का उपन्यास ‘एक महानगर, दो गौतम’ का विमोचन
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार को राजभवन में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार तथा लेखक स्वर्गीय नंदकिशोर नौटियाल की उपन्यास ‘एक महानगर, दो गौतम’ का विमोचन किया। इस अवसर पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि स्वर्गीय नंदकिशोर नौटियाल एक महान लेखक तथा साहित्यकार रहे। उनकी रचनाएं समाज और देश को सदैव प्रेरित करती रही है। राज्यपाल ने पुस्तकों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वाचन संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। स्वर्गीय नौटियाल की स्मृति में पद्मश्री अनूप जलोटा ने भजन संध्या का कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
नवनीत के संपादक विश्वनाथ सचदेव ने नौटियाल जी से 50 वर्षों की दोस्ती का दाखिला देते हुए उनकी अनुभवी, प्रामाणिक व मूल्याधारित पत्रकारिता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा की 400 पन्नों के उनके नए उपन्यास में कम से कम 50 जीवंत पात्र हैं, जिनके माध्यम से स्थानीय राजनीति से लेकर विश्व माफिया समुदाय के आपसी संबंधों के तार जोड़े गए हैं। ये सभी काल्पनिक नहीं, बल्कि सच्चे लगते हैं।
वरिष्ठ कथाकार सूर्यबाला ने कहा की कथाकार होना आसान नहीं होता। नौटियाल जी के इस नए रूप को देखकर वे भी हतप्रभ हैं।
प्रसिद्ध कथाकार भूपेंद्र पंड्या के कहा, आजाद मैदान में नौटियाल जी के मार्गदर्शन में ऐसी कथा का आयोजन किया गया था, जो विश्व की सबसे बड़ी राम कथा साबित हुई। इसमें 30 लाख लोगों के कदम पड़े। इसी के माध्यम से नौटियाल जी के आस्तिकता से परिपूर्ण मानवीय रूप के दर्शन हुए।
पूर्व गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह ने कहा कि स्वर्गीय नौटियाल एक महान लेखक के साथ-साथ प्रेरणादायक व्यक्तित्व के धनी भी थे, जो मिलने वालों पर अपनी छाप छोड़ देते थे। समाज उन्हें हमेशा याद करता रहेगा।
इस अवसर पर नौटियाल जी की पत्नी श्रीमती रुक्मिणी नौटियाल, अनिल गलगली, अनुराग त्रिपाठी, हरि मृदुल, जगदीश पुरोहित, श्रीनारायण अग्रवाल, प्रशांत शर्मा, सत्यनारायण अग्रवाल, बी. आर. भट्टड, अरविंद तिवारी, रमेशभाई मेहता, एस. पी. तुलसियान, दिनेश नंदवाना, पूर्णेंदु शेखर, एस. पी .एस. यादव, मोहन काला, माधवानंद भट्ट, कमला बडूनी, सुशीला गुप्ता, हेमराज शाह, केशरसिंह बिष्ट, एस. पी. तुलसियन, अरविंद तिवारी समेत साहित्य और पत्रकारिता जगत के कई दिग्गज समेत अनेक गणमान्य उपस्थित थे। मंच का संचालन अनिल त्रिवेदी ने किया। आभार भारत नौटियाल ने माना।