मुंबई, 12 जनवरी।
भारतीय युवक दिवस के उपलक्ष्य में राजपुरोहित परिवार, बसंत द्वारा द्वितीय स्नहे सम्मेलन- का सफल आयोजन किया गया।
सम्मेलन में युवाओं व युवतियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। तरूणों के अंदर छिपी प्रतिभाओं को खोजने हेतु विद्यार्थियों व उनके अभिवकों ने काफी तैयारी की थीं और सभी ने उनका मनोबल बढ़ाया। कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना के साथ ग्राम देवता श्री चारभुजानाथजी, संत खेतेश्वरजी और भारत माता की तस्वीरों का माल्यार्पण, तिलक और दीप प्रज्वलन के साथ की गयी।
नन्हे छात्रों में विभांशी गजेंद्रसिंह ने काव्य पाठ (प्रार्थना), दिशा जालमसिंह ने कश्मीरी पंडितों पर आधारित वीर रस पूर्ण उद्धघोष किया और आकाश भरतसिंह देशभक्ति की कविता का पाठ किया। अधिकांश छात्रों ने नृत्य कार्यक्रम पेश किया जिसमें अमीषा भवानीसिंह, जिनल भवानीसिंह, जागृति देवीसिंह, अजय देवीसिंह, अम्रता देवीसिंह, उत्तम महेंद्रसिंह, वंशिका श्रवणसिंह, प्रिंस श्रवणसिंह, सुभम शैतानसिंह, अक्षिता श्रवणसिंह, हर्षिता श्रवणसिंह, नेहल दिनेशसिंह, जयेश दिनेशसिंह, दक्ष दिनेशसिंह, काम्या भरतसिंह, नव्या भरतसिंह, कार्तिक सूर्यप्रकाश, एकता अर्जुनसिंह, डिम्पल सतीशसिंह, चन्द्रकी श्रवणसिंह, छाया नरेशसिंह, तन्वी किशोरसिंह, प्राची प्रवीणसिंह, व सरोज मंगलसिंह थे।
कार्यक्रम की रूपरेखा निधारित करने में सोहनसिंह भबूतजी, रामसिंह सुराजमालजी, शंकरसिंह हरिसिंहजी, इंद्रसिंह पूनमसिंहजी, गणपत बाबूसिंहजी गुंदेचा, सज्जनसिंह मोहनसिंहजी, रमेशकुमार देवीसिंहजी गुंदेचा और भवानीसिंह सूरजमलजी का योगदान रहा।
राजपुरोहित.कॉम के जगदीश पुरुषोत्तमदासजी ने कार्यक्रम की सहारना करते हुए कहा कि ऐसा समारोह ग्राम के स्थापना दिवस बसंत पंचमी को मनाना चाहिए ऐसी अपील की।
इस सम्मेलन में बसंत गांव के निवासियों ने भाग लिया जिसमें जगदीश पुरुषोत्तमदासजी उर्फ रावतसिंहजी आदर्श परिवार, मनीष पृथ्वीराजजी आदर्श अन्नपूर्णा, अरविन्द चुन्नीलालजी, अशोकसिंह पूनमजी गुंदेचा, किशोर हीरसिंहजी, कैलाश मोहनसिंहजी, गजेन्द्रसिंह सूरजमलजी, घनश्याम चुन्नीलालजी, चौथमल चतर्भुजजी, दिनेश नारायणसिंहजी, दिलीपसिंह के. गुंदेचा, देवीसिंह सोहनजी गुंदेचा, देवीसिंह हीरजी, नारायणसिंह मेघजी, नारायणसिंह शिवनाथजी, प्रकाश हरीसिंहजी, भरत विजयसिंहजी, मंगल भँवरजी, मंगलसिंह हरिसिंहजी, मगनसिंह नरसाजी, मोहब्बतसिंह गंगारामजी, मोहनसिंह बिहारीसिंहजी, रविसिंह रूपसिंहजी, रूपसिंह बिहारीसिंहजी, विक्रम मोहनसिंघजी, रमेशकुमार चतर्भुजजी, सतीश भूरजी और सूर्यप्रकाश सोहनजी गुंदेचा ने भी बच्चो को पुरस्कार बाटे और का मनोबल बढ़ाया।