होटल और बीएमसी ने की पूरी देखभाल
बसंत के प्रवासी पी. एच. पुरोहित चैरिटेबल ट्रस्ट की मुहिम अब दिखाने लगी है रंग
करोना वायरस संक्रमण को रोकने के साथ ही संक्रमितों के परिजनों को आइसोलेशन में रखने के लिए राज्य प्रशासन और बीएमसी द्वारा निजी होटलों से मदद लेने की मुहिम अब रंग दिखाने लगी है। पी एच पुरोहित (रावतसिंह) चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक पुरुषोत्तमदास उर्फ रावतसिंह पुरोहित की कालबादेवी स्थित आदर्श होटलों समूह जैसे निजी होटलों ने दरियादिली का नमूना पेश किया, उसी का परिणाम है कि कब संभावित और एकांतवास में रखे गए लोग बिल्कुल स्वस्थ होकर अपने घर लौट गए हैं।
सरकारी अस्पतालों में बेड्स की कमी को देखते हुए आदर्श होटल समूह ने पहल करते हुए पी. एच. पुरोहित मार्ग स्थित आदर्श होटल और जुनी हनुमान गली की होटल आदर्श पैलेस के द्वार खोलकर उसे बृहन्मुंबई महानगर पालिका को मुहैया करा दिया. यह कार्य पी. एच. पुरोहित (रावतसिंह) चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक पुरषोत्तमदासजी पुरोहित द्वारा प्रेरित उसी मुहिम का हिस्सा है जिसमें उनका मानना था कि समाज को जब भी जरूरत पड़े तब हमें आगे बढ़कर हर संभव का हाथ बढ़ाना चाहिए. चूंकि यह वैश्विक आपदा का समय है और इसलिए उस स्वतंत्रतता सेनानी को इससे बड़ी श्रद्धांजलि और कुछ नहीं दी जा सकती थी. चैरिटेबल ट्रस्ट के न्यासी पृथ्वीराजजी, विनोदकुमारजी, घनश्यामजी व जगदीशजी पुरोहित ने इस मानवता के कार्य को क्रियणवित करने हेतु जगदीश पुरोहित को इस कार्य के लिए पहल करते हुए महानगर पालिका ‘सी’ विभाग के सहायक आयुक्त चक्रपाणी अल्ले से मिलकर अपने सारे सुसज्जित होटलों के कमरों को क्वारंटाइन के लिए देने का प्रस्ताव दिया। सहायक आयुक्त के निर्देश पर आरोग्य विभाग के डॉ. सुरेश उचाले, संजय खेडकर, चन्द्रशेखर जागे व डॉ. शैलेंद्र गुजर ने सघन मुआयना इसे उपयुक्त माना। सारे कमरों से एयर- कंडीशनर सुविधा हटा दि गई ताकि वायरस को बढ्ने से रोका जा सके।
3 अप्रैल, 2020 को झाबुआवाडी, ठाकुरद्वार के समीप के 10 रहवासियों को होटल आदर्श पैलेस में स्थानांतरित किया गया, जिनकी उम्र 70 से लेकर 19 साल तक कि थी। उनके परिवार के सदस्य का करोना के चलते देहांत हो गया था। उन्हें होटल के अलग कमरों में रखकर निरंतर ध्यान रखा गया. स्वच्छता का सबसे बेहतरीन इंतजाम कर तृप्ति, डॉ. माया सिंगरे, डॉ. ज्योति शेटये और सकील शेख, कनिष्ठ अभियंता कानडे व इमारत मुकादम साबळे के निर्देशन में नियमित स्वास्थ्य का परीक्षण जारी रहा. आज उस सभी परिवार के सभी सदस्य एकांतवास से सकुशल अपने घर पर लौट गए. उनके निवास स्थान व आस-पास के क्षेत्रों को पूर्णरूप से डिसइनफेक्ट कर दिया गया। परिवार के वरिष्ठ श्रीकांत करंभे ने कहा कि अपने घर पर पहुँच का सुख कुछ और ही होता है, चाहिये वो काम से वापस लौटे या बाहर गाँवसे वापस लौटे, यह एक अलग ही अनुभूति है हालंकी अपने भाई से सदा के लिए बिछड़ ने का गम भी उनकी बातों में था।